मंगलवार, 14 मार्च 2023

विश्व में जन आस्था, महाबली श्री दक्षिण मुखी हनुमान मंदिर कुरुक्षेत्र

पंकज पाराशर 

वीर भूमि कुरुक्षेत्र हरियाणा के ब्रह्मसरोवर तट पर श्री दक्षिण मुखी हनुमान मंदिर है। यहां पर हनुमान जी का स्वरूप स्वत प्रकट है। दक्षिण मुखी होने की वजह से मंदिर की विशेषता और ज्‍यादा है  पुरातत्ववेत्ता भी इसे काफी प्राचीन मानते हैं। धर्मनगरी में ब्रह्मसरोवर तट स्थित प्राचीन श्रीदक्षिणमुखी हनुमान मंदिर लोगों की आस्था का प्रमुख केंद्र है। यहां हनुमान जी का स्वरूप स्वत: प्रकट है। इसके साथ ही दक्षिणमुखी होना इस मंदिर के महात्म्य को और बढ़ा देता है, क्योंकि हनुमान जी ने भगवान श्रीराम के सारे काज दक्षिण दिशा में जाकर ही संवारे थे। उन्होंने सीता माता की खोज दक्षिण दिशा में जाकर की और फिर लंका का दहन भी इसी दिशा में किया। इसलिए दक्षिण मुखी होने की वजह से इस मंदिर के प्रति श्रद्धालुओं की आस्था और ज्यादा प्रगाढ़ हो जाती है, क्योंकि हिंदू धर्म में ज्यादातर मंदिर उत्तर और पूर्व दिशा के ही होते हैं। वहीं पवित्र ब्रह्मसरोवर के तट पर स्थित इस मंदिर में हजारों श्रद्धालु आते हैं।
हनुमान जी का स्वरूप ऐसे हुआ था स्वत: प्रकट
वैसे तो पुरातत्ववेताओं का मानना है कि प्राचीन श्रीदक्षिणमुखी मंदिर 16वीं शताब्दी का है। मगर 25 अप्रैल 2008 को हनुमान जी का स्वरूप स्वत: प्रकट हुआ था। हनुमान जी की जो प्रतिमा थी वह इस दिन अपने आप जमींन पर बिखर गई थी और उसके पीछे से हनुमान जी का यह स्वरूप निकल आया था। भगवान महंगे वस्त्र और भोग नहीं चाहते। भगवान तो भाव के भूखे हैं। हनुमान जी कलयुग में भी प्रत्यक्ष भगवान हैं, जो सच्चे मन से की गई उपासना से खुश होकर इच्छा को पूर्ण करते हैं। हनुमान जी को चमेली का तेल, सिंदूर और नैवेद्य अति प्रिय है। इसलिए चमेली का तेल मिलाकर सिंदूर चढ़ाने से और नैवेद्य से भोग लगाया जाता है।

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